डीडीए (दिल्ली विकास प्राधिकरण) की ओर से आवंटित जमीनों पर स्थित मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों (गैर सहायता प्राप्त) की कार्यसमिति की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को खारिज कर दी। समिति ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें अदालत ने उनसे फीस वृद्धि से पहले सरकार की अनुमति हासिल करने के लिए कहा था।
प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर, जस्टिस एनवी रमन और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करने से इन्कार करते हुए कहा कि इन स्कूलों को फीस वृद्धि से पहले सरकार की अनुमति लेनी ही होगी क्योंकि वे डीडीए की ओर से आवंटित जमीन पर स्थित हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट ने पिछले साल 19 जनवरी को दिए अपने आदेश में कहा था कि डीडीए की आवंटित जमीन पर स्थित गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूल लाभार्जन और शिक्षा के व्यवसायीकरण में शामिल नहीं हो सकते। हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय को यह निर्देश दिया था कि वह डीडीए की ओर से आवंटित जमीन पर स्थित मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों (गैर सहायता प्राप्त) में फीस वृद्धि से जुड़ी आवंटन पत्र की शर्तो का पालन सुनिश्चित करे। हाई कोर्ट ने डीडीए को भी निर्देश दिए थे कि वह ऐसे निजी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करे जो फीस वृद्धि से संबंधित आवंटन पत्र की शर्तो का उल्लंघन करते हों। हाई कोर्ट ने यह फैसला एक गैर सरकारी संगठन की जनहित याचिका पर सुनाया था।
याचिका खारिज, फीस वृद्धि से पहले लेनी होगी सरकार से अनुमति
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