नौकरी करने वाले लोगों की तनख्वाह का एक निश्चित हिस्सा ईपीएफ में जमा होता है, इसका मकसद वैसे तो रिटायरमेंट के बाद की जरूरतों को पूरा करने में मदद करना होता है। फिर भी यदि आप चाहें तो इससे पहले भी अपनी ईपीएफ जमा राशि निकाल सकते हैं।
ईपीएफओ नौकरी के दौरान भी पीएफ अकाउंट से पैसा निकालने की सुविधा देता है। इस तरह के विड्रॉल को एडवांस विड्राल माना जाता है। हालांकि यह सुविधा कुछ विशेष परिस्थितियों जैसे- घर खरीदने, होम लोन के भुगतान, मेडिकल खर्च, शिक्षा, बच्चों की शादी आदि के दौरान मिलती है।
गलत जानकारी देकर विड्रॉल किया तो हो सकता है नुकसान
इस तरह के एडवांस पेमेंट का भुगतान भी नहीं करना होता है साथ ही इस पर लोन की तरह ब्याज भी नहीं देना पड़ता है। एडवांस की रूप में ली जाने वाली रकम आपकी जरूरत, सर्विस ईयर आदि पर निर्भर करती है। हालांकि यदि ईपीएफओ को पता चलता है कि एडवांस की रूप में ली गई रकम का दुरुपयोग किया जा रहा है तो पेनल्टी और ब्याज के साथ वसूला जाता है। साथ ही यदि एडवांस पेमेंट का कुछ हिस्सा उपयोग ना हो पाए तो उसे फिर से ईपीएफ अकाउंट में लौटाना भी पड़ता है।
इस तरह के एडवांस पेमेंट का भुगतान भी नहीं करना होता है साथ ही इस पर लोन की तरह ब्याज भी नहीं देना पड़ता है। एडवांस की रूप में ली जाने वाली रकम आपकी जरूरत, सर्विस ईयर आदि पर निर्भर करती है। हालांकि यदि ईपीएफओ को पता चलता है कि एडवांस की रूप में ली गई रकम का दुरुपयोग किया जा रहा है तो पेनल्टी और ब्याज के साथ वसूला जाता है। साथ ही यदि एडवांस पेमेंट का कुछ हिस्सा उपयोग ना हो पाए तो उसे फिर से ईपीएफ अकाउंट में लौटाना भी पड़ता है।
कैसे हासिल करें एडवांस अमाउंट
- यदि आपके पास केवायसी (नो योर कस्टमर) वाला एक्टिवेटेड यूनिवर्सल अकाउंट नंबर है, जिसे आपके बैंक के साथ जोड़ा जा चुका है तो आपको अपने इंप्लॉयर के पास जाने की भी जरूरत नहीं है।
- ऐसी स्थिति में यूएएन आधारित फॉर्म 31 सीधे ईपीएफओ को भेजा जा सकता है।
- यदि ऐसा नहीं है तो अपने इंप्लॉयर के जरिये फॉर्म 31 भरकर ईपीएफओ को भेज सकते हैं।
- अलग-अलग जरूरतों के हिसाब से अलग-अलग मिनिमम मेंबरशिप पीरियड और डॉक्यूमेंट्स की जरूरत पड़ती है।
- इसी हिसाब से अमाउंट भी तय होता है।
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