प्रदेश के सरकारी स्कूलों में छात्रों के फर्जी दाखिले कर मिड-डे-मील, वजीफा, स्टेशनरी सहित अन्य सुविधाओं को हड़पने वाले अध्यापकों की मुश्किलें बढ़ेंगी। हाईकोर्ट ने ऐसे अध्यापकों की जांच अब विजिलेंस को दी है। शैक्षणिक सत्र 2014-15 में पकड़े गए इस फर्जीवाड़े में अकेले नूंह जिले से करीब 90 हजार छात्र फर्जी पाए गए थे तो पूरे प्रदेश में ऐसे छात्रों की संख्या करीब चार लाख पायी गई है। नूंह जिले के 245 अध्यापक इस फर्जीवाड़े में शामिल हैं तो पूरे प्रदेश में अध्यापकों का यह आंकड़ा करीब एक हजार है। लेकिन विभाग तब से अब तक इस मामले को यूं ही दबाए बैठा था। लेकिन अब मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया।
2014-15 में तत्कालीन डीईईओ वजीरचंद मजोका ने नूंह जिले के स्कूलों का निरीक्षण किया। जहां कुछ स्कूलों में फर्जी छात्र पाए गए थे। मामले को दैनिक जागरण ने लगातार उठाया तो फर्जी छात्रों का यह आंकड़ा जिले में 90 हजार तक पहुंच गया। इसी आधार पर विभाग ने पूरे प्रदेश के स्कूलों की जांच कराई। इसमें करीब चार लाख छात्र फर्जी पाए गए हैं।
यह मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा। अब तक शिक्षा विभाग की इस मामले में लीपापोती को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास की फटकार लगाई और मामले की जांच विजिलेंस को दे दी है।
बता दें कि कुछ समय पहले जब स्कूलों में छात्रओं को सरकारी ओर से दी जानो वऋली सुविधाओं को ऑडिट हो रहा था तो स्कूलों के वजूद पर संकट को टालने के लिए शिक्षकों ने फर्जी दाखिले दिखा दिए थे। इसे लेकर चौतरफा शिकायतें आनी शुरू हो गई थीं।
"नूंह जिले से इस फर्जीवाड़े में 119 जेबीटी, 13 गेस्ट जेबीटी, 20 सीएंडवी, 93 गेस्ट सीएंडवी शामिल हैं। हमने उन्हें नियमित को चार्जशीट तथा गेस्ट टीचरों से स्पष्टीकरण लिया था। अब मामला हाईकोर्ट के आदेश पर विजिलेंस को सौंप दिया गया है।"-- डा. दिनेश कुमार शास्त्री, डीईओ नूंह।
- प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 4 लाख छात्र पाए गए थे फर्जी
- स्कूलों के वजूद पर संकट टालने के लिए दिखाए थे फर्जी दाखिले
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