स्कूल का सुंदर भवन, स्वागत करता हुआ भव्य द्वार, अंदर पार्क, गमलों में लगे पौधे व झंडे। हम किसी प्राइवेट स्कूल के भवन व परिसर की चर्चा नहीं कर रहे बल्कि चंदाना गांव के राजकीय प्राथमिक पाठशाला की बात कह रहे हैं। इस स्कूल के भवन को देखकर एक बार तो हर कोई चक्कर में पड़ जाता है कि यह सरकारी स्कूल या प्राइवेट। यह सब संभव हो सका है कि गांव की पंचायत और शिक्षकों की मेहनत और आपसी सहयोग से। करीब एक साल पहले स्कूल में नए स्टाफ की नियुक्त हुई। उस समय स्कूल की हालत काफी खराब थी। साफ-सफाई का अभाव, शौचालय गंदे व पानी नहीं था। मार्च माह में विभाग ने स्वर्ण जयंती वर्ष के तहत 1.29 लाख रुपये की राशि स्कूल के लिए मंजूर की। इस राशि से स्टाफ सदस्यों ने स्कूल को संवारने का काम शुरू कर दिया। इसी बीच विभाग ने ग्रांट रोक दी, जिसके बाद स्कूल के मुखिया ने काम रोकने की बात कही। मगर सभी शिक्षकों ने जेब से पैसा खर्च कर स्कूल को संवारा।
- 30 बच्चे प्राइवेट स्कूलों से हुए दाखिल: गांव की इस प्राथमिक पाठशाला में अब तक कुल 255 बच्चे पढ़ रहे हैं। इनमें 30 बच्चे ऐसे हैं जो शहर के नामी प्राइवेट स्कूलों को छोड़कर इस स्कूल में दाखिल हुए हैं। स्कूल में लड़के व लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय हैं। सभी विद्यार्थियों के बैठने के लिए बेंच, खेलने के लिए दो पार्क सहित कंप्यूटर लैब भी उपलब्ध है। प्रार्थना सभा प्रतिदिन प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया जाता है।
- स्कूल में स्टाफ की स्थिति: स्कूल इंचार्ज बलराम सिंह, अशोक कुमार, रवि प्रकाश, राजेंद्र सिंह, धर्मबीर सिंह, कश्मीरी लाल, कमलदीप, चांदी राम व नर्मता गोयल कार्यरत हैं।
- सरपंच व जिला पार्षद का रहा सहयोग: स्कूल को संवारने में सरपंच बिमला देवी व जिला पार्षद बबली का काफी सहयोग रहा। पंचायत के सहयोग से स्कूल में मिट्टी डलवाने सहित अन्य काम करवाए गए।
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