दुनिया में जल्द ही सात से आठ महाद्वीप हो सकते हैं। शोधकर्ताओं ने जीलैंडिया नाम से आठवें महाद्वीप की सिफारिश की है। शुक्रवार को जारी अध्ययन के अनुसार, भारतीय उपमहाद्वीप इतना ही बड़े प्रशांत महासागर में डूबे एक छुपे क्षेत्र को नए महाद्वीप जीलैंडिया के रूप में मान्यता दी जा सकती है। इसमें महाद्वीप बनने की सभी खूबियां हैं। दिलचस्प है कि भारत के गोंडवाना का पांच फीसद हिस्सा भी कभी इस प्रस्तावित महाद्वीप का हिस्सा रह चुका है। अगर जीलैंडिया को एक नए महाद्वीप के रूप में मान्यता मिल जाती है तो यह एशिया, यूरोप, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, आस्ट्रेलिया और अंटार्कटिका के बाद आठवां महाद्वीप होगा। न्यूजीलैंड के वेलिंगटन स्थित विक्टोरिया यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी, आस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने अन्य के साथ मिलकर किए गए अध्ययन में उपरोक्त दावा किया है।![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhd1QlyFltiFF_h7GZA2KFb6s7WCuBbxQxjk5miTQ2Gm__x8EDOMfnlpEWtoXblgkG8Y4_c8jIK00EaXyIn0Z2flwgIl8YJN8iJO9lPoWO7b6RaLF58aV5zKi2l79QzgbLgEk9Rhqxb5s8/s1600/unnamed+%252810%2529.jpg)
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उनका कहना है कि जीलैंडिया दरअसल दक्षिण पश्चिम प्रशांत महासागर के 40.9 लाख किलोमीटर लंबे क्षेत्र में फैला है। महाद्वीपीय परत से बना यह क्षेत्र समीपवर्ती महासागरीय सतह से अपेक्षाकृत ऊंचा है। इसमें सिलिका चट्टानों की भरमार है।
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