नई दिल्ली : केंद्र सरकार को अगर नीति आयोग का सुझाव रास आया तो आगामी आम बजट में आयकर छूट की मौजूदा सीमा नहीं बढ़ेगी। फिलहाल ढाई लाख रुपये तक की सालाना आयकर मुक्त है। आयोग के शीर्ष अधिकारियों का मानना है कि आयकर से छूट की मौजूदा सीमा को बनाए रखने से सरकार को करदाताओं का आधार बढ़ाने में मदद मिलेगी।
सूत्रों ने कहा कि नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पानगड़िया ने यह सुझाव दिया है और उनका यह भी कहना है कि ढाई लाख रुपये से पांच लाख रुपये के स्लैब को बढ़ाकर सात लाख रुपये कर दिया जाए। फिलहाल ढाई से पांच लाख रुपये तक की सालाना आमदनी 10 प्रतिशत टैक्स दर के दायरे में आती है। पांच लाख रुपये से अधिक आय होने पर 20 प्रतिशत की दर से आयकर देना होता है। उन्होंने यह सुझाव भी दिया है कि 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर कर की दर मौजूदा 30 फीसद के स्थान पर महज 25 फीसद होनी चाहिए।
आयकरदाताओं के आधार को बढ़ाने के लिए नीति अायोग द्वारा यह सिफारिश की गई है। देश में करदाता आधार बढ़ाने की जरूरत इसलिए है, क्योंकि अभी कुछ ही लोग आयकर देते हैं। वित्त मंत्रालय के अनुसार 125 करोड़ की आबादी वाले देश में वित्त वर्ष 2015-16 में मात्र 3.7 करोड़ करदाताओं ने ही आयकर रिटर्न दाखिल किया। इसमें से भी 99 लाख करदाता ऐसे थे, जिनकी सालाना आय ढाई लाख रुपये से कम थी। इसलिए उन्होंने एक भी पैसा टैक्स नहीं दिया। वहीं 1.95 करोड़ करदाताओं ने अपनी आय पांच लाख रुपये से कम बताई। 52 लाख करदाताओं ने वार्षिक आय पांच से 10 लाख रुपये के बीच दिखाई है। सिर्फ 24 लाख करदाता ऐसे हैं, जिन्होंने 10 लाख रुपये से अधिक सालाना आय घोषित की है। ऐसे में करदाताओं का आधार बढ़ाने की जरूरत है।
- 10 फीसद टैक्स वाले स्लैब को सात लाख करने का आयोग ने दिया सुझाव
- 2.5 लाख रुपये तक की आमदनी पर फिलहाल नहीं लगता आयकर
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